अश्विन लिम्बाचिया, अहमदाबाद
दिनोंक: 20-11-21
विश्व का सबसे ज्यादा परमाणु ईंधन भारत के पास :- भारत की परमाणु सहेली डॉक्टर नीलम गोयल
परमाणु सहेली ने बताया कि भारत अपने दूरवर्ती इलाकों के घरों में प्रकाश पहुँचा सके, कृषि, उद्योगधंधों, कार्यालयों, घरों व अन्य आवश्यकताओं में भी बिजली की एक समुचित व्यवस्था कर सके; इसके लिए मिश्र बिजली उत्पादन का राष्ट्रीय प्लान रखता है। इस प्लान के मुताबिक़ भारत को बिजली उत्पादन के अपने सभी सम्भव स्रोतों की उपलब्धता, सीमा व महत्ता को ध्यान में रखते हुए, औसतन 5000 यूनिट प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष की दर से बिजली का उत्पादन करना है। इस उत्पादन में 1000 यूनिट सौर ऊर्जा से, 250 यूनिट कोयला से, पवन व जल से 250-
250 यूनिट, 3000 यूनिट नाभिकीय ऊर्जा से और 250 यूनिट बाकी अन्य से बनानी है।
भारत में प्रकाश से उत्पन्न हो सकने वाली बिजली की अधिकतम सीमा 1000 यूनिट प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष है। सौर ऊर्जा से सालाना 1300 अरब यूनिट बिजली के उत्पादन के लिए, अर्थात, वर्तमान की 1 अरब 30 करोड़ की जनता में सालाना प्रतिव्यक्ति 1000 यूनिट के उत्पादन के लिए, 10 लाख मेगावाट के सौलर प्लांट स्थापित करने होंगे। 10 लाख मेगावाट के सोलर पॉवर प्लांट्स स्थापित करने के लिए 5 से 6 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि की आवश्यकता पड़ेगी। यह सौर ऊर्जा की अधिकतम सीमा हैं। कोयला, तेल व गैस सीमित मात्रा में है। अर्थात, भारत अपने देश में बहने वाले जल व पवन और जमीन पर पड़ने वाली सौर ऊर्जा और कोयला का अधिकतम उपभोग कर भी ले तो इनसे 1750 यूनिट से ज्यादा बिजली का उत्पादन तो कदापि नहीं कर सकता है। जाहिर है कि, ऐसे में नाभिकीय ऊर्जा एक साफ़ व सुरक्षित विकल्प है, जो सदियों तक भारत की बिजली आवश्यकता को सतत रूप में पूरी कर सकेगा।
भारत आज उस क्षमता के साथ तैयार है कि वह अपने हर जिले पर 500-500 मेगावाट के स्मार्ट मॉड्यूलर रिएक्टर्स लगा सकता है, जो उस जिले की बैसलोड बिजली की डिमांड को तो पूरी कर ही सकते हैं, साथ ही, स्थानीय पानी को शुद्ध कर पीने के काबिल बनाने एवं मोटर-वाहनों इत्यादि के लिए पानी से ही हाइड्रोजन गैस का ईंधन के रूप में भी सतत उत्पादन कर सकते हैं। एवं, उच्च तापीय उष्मा का भी उत्पादन कर सकते हे, जो कई इंडस्ट्रीज की परम आवश्यकता होती है। यह सब वर्ष 2013 से भी संभव था, लेकिन आम से लेकर ख़ास जनता में परमाणु ऊर्जा के सम्बन्ध में व्याप्त भ्रांतियों एवं विरोधों के चलते हुए भारत, जो कि इस क्षेत्र में पहले चायना से भी आगे था, वह आज चायना से बहुत पीछे रहा गया है। वर्ष 1992 तक चायना में कोई नाभीकीय बिजलीघर नहीं था आज 48000 मेगावाट के परमाणु बिजलीघर स्थापित कर चुका है, और भारत जो कि वर्ष 1948 से ही इस क्षेत्र में अग्रणी था, अभी तक 6780 मेगावाट तक ही पहुँच पाया है। सौर ऊर्जा से बिजली रात्रि के समय व बादल छाये रहने पर नहीं बन सकती है। ऐसे में हैवी इंडस्ट्रीज व रेलवे में आवश्यक बेसलोड बिजली की सतत आपूर्ति के लिए अभी सौर ऊर्जा एक उचित विकल्प नहीं बन सकती है। सौर ऊर्जा से बनी हुई बिजली को पहले बैटरीज में स्टोर करें, तो इस प्रक्रिया में सौर ऊर्जा से बिजली बनाने में कुल खर्चा 9 से 10 रूपये के बीच में आता है। स्मार्ट मॉड्यूलर परमाणु संयंत्रों से यह लागत मात्र 2 से 2.5 रूपये के मध्य ही आती है।
परमाणु सहेली ने बताया कि परमाणु ऊर्जा के बारे में लोगों में सही जानकारी का अभाव है। लोगों में बहुत सारी गलतफहमियाँ हैं, भ्रांतियाँ हैं। परमाणु सहेली सभी जगह पर जन जागरूकता का अभियान चला रही हैं। गुजरात में 6500 मेगावाट का परमाणु बिजलीघर पिछले 10 सालों से रुका हुआ है पूरे गुजरात के हर नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि परमाणु बिजलीघर के बारे में सकारात्मक माहौल बनाया जाए।
परमाणु सहेली ने बताया कि 5 सिद्धांतों- निष्पक्षता, तकनीकि कौशलता, जागरूकता, सामुदायिक भागीदारी व सतर्कता के साथ ही कोई भी काम पूरी निपुणता से किया जा सकता है। गुजरात और राजस्थान में पानी की समस्या को दूर करने के लिए राजस्थान और कच्छ की एक मिली जुली योजना है- यमुना नदी का पानी साबरमती तक लाया जाए। अगर ऐसा होता है तो राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी इलाके के साथ गुजरात के कच्छ बेल्ट को पानी मिलेगा। किसानों को पानी मिलेगा पशुओं को चारा मिलेगा। हमारे किसान की आर्थिक आय में बढ़ोतरी होगी। लेकिन यह योजना 40 साल पुरानी है और अभी तक कुछ भी काम नहीं हुआ है। परमाणु सहेली ने बताया कि नदियों के अंतर्संबंध की योजना होने से भारत में बाढ़ और सूखे से निजात मिलेगी इस प्रकार से पानी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता होगी दूसरा हर खेत पर जल खेत से बरसात का पानी हर किसान अपने खेत पर रोक पाएगा जिससे वह साल में तीन फसल ले पाएगा जिससे कृषि के क्षेत्र में पानी के प्रति आत्मनिर्भरता होगी तीसरा परमाणु सहेली ने बताया कि सोलर ऊर्जा से कृषि में व घरेलू क्षेत्र में बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता होगी चौथा परमाणु ऊर्जा जो कि बिजली बनाने का स्वच्छ और हरित और सस्ता साधन है जिससे औद्योगिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता होगी । परमाणु सहेली ने बताया की है हर गांव के हर घर से गोबर इकट्ठा कर 30 40 गांव के बीच में यदि गोबर गैस प्लांट लगा दिया जाए तो उस गांव के हर परिवार को स्वच्छ रसोई गैस वहां के खेती के लिए खाद और वहां के युवाओं को रोजगार मिल सकता है इस प्रकार से हर गांव को स्वच्छ कुकिंग गैस मिल सकती है इस क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर हो पाएगा
परमाणु सहेली ने बताया कि यदि भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो हमें यह जानना होगा कि भारत की लगभग 75% जनसंख्या गांव में निवास करती है और गांव में किसानों के पास खेती और पशु रोजगार का साधन है खेती में सबसे पहली आवश्यकता पानी की होगी और पशुओं को चारे की आवश्यकता होगी और यह दोनों ही चीजों के लिए सबसे पहली जरूरत है पानी की तो भारत को यदि आत्मनिर्भर बनाना है तो सबसे पहला काम हमें पानी के अंदर आत्मनिर्भर बनना होगा जिसमें भारत की नदियों का अंतर्संबंध की योजना सबसे जरूरी है दूसरा बारिश का पानी जो व्यर्थ बह कर चला जाता है उसे हर खेत में रोककर किसान तीन फसल ले पाएंगे इस प्रकार से भारत पानी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो पाएगा दूसरा यदि हम बिजली की बात करें तो परमाणु ऊर्जा जो कि पूरे विश्व का 85 परसेंट भारत के पास है इसके लिए परमाणु ऊर्जा का भारत में समुचित विकास करना होगा और यह दोनों ही पानी और बिजली इसके लिए भारत की जनता भारत सरकार का साथ देना होगा जब भी योजनाएं हमारे क्षेत्र में आए हम इन योजनाओं का पूरी तरह से समर्थन करें ताकि योजनाओं का क्रियान्वयन समय से हो सके और हम और हमारा भारत आत्मनिर्भर बन सके।
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